""२५ मार्च बुधवार चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ""
25 मार्च से चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा और इसी दिन से नवसंवत् 2077 शुरू हो रहा है।
ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ वैसे तो 24 मार्च को दिन में 2 बजकर 58 मिनट से हो रहा है लेकिन शास्त्रों में उदया तिथि से तिथि का आरंभ माना जाता है।इसी कारणवश 24 मार्च की बजाय 25 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि मान्य है क्योंकि इस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि रहेगी जो 25 मार्च को शाम में 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इसलिए 25 मार्च को चैत्र नवरात्र का कलश स्थापन होगा और इसी दिन से नवसंवत्सर का आरंभ माना जाएगा।
दुर्गासप्तशती में कुल १३ अध्याय है तथा प्रत्येक अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल मिलता है। अलग- अलग मनोकामना के अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। आइए जानते हैं किस अध्याय के पाठ का क्या फल मिलता है।
दुर्गासप्तशती में कुल १३ अध्याय है तथा प्रत्येक अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल मिलता है। अलग- अलग मनोकामना के अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। आइए जानते हैं किस अध्याय के पाठ का क्या फल मिलता है।
नवरात्रि में मां शक्ति के नौ स्वरुपों की विधिवत पूजा- उपासना की जाती है। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से परिवार में सुख शांति, स्वाथ्य, व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि, धन, सुख- समृद्धि, संतान प्राप्ति, मनचाहा विवाह, यश, कीर्ति, शत्रु नाश, उच्चपद और मान- सम्मान की प्राप्ति एवं समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।
नवरात्रि में नित्य दुर्गासप्तशती का विधि विधान से एक पाठ स्वयं करें या वैदिक विद्वानों द्वारा करवाए तथा दसवे दिन हवन एवं पूर्णाहुति करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
कल्याण होगा।
नारायण नारायण
पंडित दीपक शर्मा
भाग्यचक्र उज्जैन
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