अमावस्या दोष


अमावस्या जन्म दोष और निवारण
जब सूर्य और चन्द्रमा दोनों कुण्डली के एक ही घर में विराजमान हो तब इस दोष का निर्माण होता है।जैसे की आप सब जानते है की अमावस्या को चन्द्रमा किसी को दिखाई नही देता उसका प्रभाव क्षीण हो जाता है। ठीक उसी प्रकार किसी जातक की कुंडली में यह दोष बन रहा हो तो उसका चन्द्रमा प्रभावशाली नही रहता।और चन्द्रमा को ज्योतिष में कुण्डली का प्राण माना जाता है और जब चन्द्रमा ही प्रभाव हीन हो जाए तो यह किसी भी जातकके लिए कष्टकारी हो जाता है क्योंकि यही हमारे मन और दिमाग का कारक ग्रह है। सूर्य और चन्द्र दो भिन्न तत्व के ग्रह है सूर्य अग्नि तत्व और चन्द्र जल तत्त्व, इस प्रकार जब दोनों मिल जाते है तो वाष्प बन जाती है कुछ भीनही रह जाता।किसी भी व्यक्ति की कुन्डली मे सूर्य + चंद्रमा की युति होरही हो तो समझना चाहिए उस जातक का जन्म अमावस्या के दिन का हैइस दिन चंद्रमा निर्बल हो जाता है अगर कुन्डली मे चंद्रमा लग्नेश का मित्र हो या शुभ भाव का स्वामी हो व् नीच राशि या6-8-12 मे ना हो तो चंद्रमा को बलदेने के लिये मोती जरूर पहनना चाहिए चंद्रमा के बलहीन होने से जातक जल्दी परेशान हो जाता हैकिसी भी कार्य मे मन नहीं लगता माता को कष्ट रहता है दिमाग में बुरे विचार अधिक आते हैसूर्य + चंद्रमा की युति वाले जातक आत्महत्या जैसा कदम अधिक उठाते है यदि किसी की कुन्डली मे चंद्रमा कमजोर हो व्6 - 8 - 12 का स्वामी हो या नीच राशि पर होउसे मोती नहीं पहनना चाहिएपक्षियों को चावल या सफ़ेद ज्वार डालना चाहिएउसे सफ़ेद वस्तु का दान करना चाहिएचाँदी के गोल लाकेट पर चंद्रमा बनवाकर गले मे धारण करना चाहिए 

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