Friday, March 20, 2020

जय माता जी :- 25 मार्च 2020 बुधवार से चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा और इसी दिन से नवसंवत् 2077 शुरू हो रहा है। :-

""25 मार्च चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ""
25 मार्च से चैत्र नवरात्र का आरंभ होगा और इसी दिन से नवसंवत् 2077 शुरू हो रहा है।

ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ वैसे तो 24 मार्च को दिन में 2 बजकर 58 मिनट से हो रहा है लेकिन शास्त्रों में उदया तिथि से तिथि का आरंभ माना जाता है।इसी कारणवश 24 मार्च की बजाय 25 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि मान्य है क्योंकि इस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि रहेगी जो 25 मार्च को शाम में 5 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इसलिए 25 मार्च को चैत्र नवरात्र का कलश स्थापन होगा और इसी दिन से नवसंवत्सर का आरंभ माना जाएगा।

*पहला नवरात्र*
*25, मार्च 2020 (बुधवार)*
*शैलपुत्री माता की पूजा*

*दुसरा नवरात्र*
*26, मार्च 2020 (गुरुवार)*
*ब्रह्मचारिणी माता की पूजा*

*तीसरा नवरात्र*
*27, मार्च 2020 (शुक्रवार)*
*चंद्रघंटा माता की पूजा*

*चौथा नवरात्र*
*28, मार्च 2020 (शनिवार)*
*कुष्मांडा माता की पूजा*

*पांचवा नवरात्र*
*29, मार्च 2020 (रविवार)*
*स्कंदमाता की पूजा*

*छठा नवरात्र*
*30, मार्च 2020 (सोमवार)*
*कात्यायनी माता की पूजा*

*सातवाँ नवरात्र*
*31, मार्च 2020 (मंगलवार)*
*कालरात्रि माता की पूजा*

*आठवाँ नवरात्र*
*1, अप्रैल 2020 (बुधवार)*
*महागौरी माता की पूजा*

*नोवाँ नवरात्र*
*2, अप्रैल 2020 (गुरुवार)*
*सिद्धिदात्री माता की पूजा*

नवरात्रि में मां शक्ति के नौ स्वरुपों की विधिवत पूजा- उपासना की जाती है। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से परिवार में सुख शांति, स्वाथ्य, व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि, धन, सुख- समृद्धि, यश, कीर्ति, शत्रु नाश, उच्चपद और मान- सम्मान की प्राप्ति एवं समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।

नवरात्रि में नित्य दुर्गासप्तशती का विधि विधान से एक पाठ स्वयं करें या वैदिक विद्वानों द्वारा करवाए तथा दसवे दिन हवन एवं पूर्णाहुति करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।

दुर्गासप्तशती में कुल १३ अध्याय है तथा प्रत्येक अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल मिलता है। अलग- अलग मनोकामना के अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। आइए जानते हैं किस अध्याय के पाठ का क्या फल मिलता है।

प्रथम अध्याय के पाठ से चिंताओं से मुक्ति मिलती है और मन प्रसन्न रहता है।

दूसरे अध्याय के पाठ से कोर्ट केस और विवादों में विजय प्राप्त होती है। 

दुर्गा सप्तशती के तीसरे पाठ से शत्रुओं और विरोधियों से छुटकारा मिलता है। 

मां दुर्गा की भक्ति और कृपा दृष्टि के लिए चौथे अध्याय का पाठ करना लाभदायक होता है।

पांचवें अध्याय के पाठ से देवी की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है। 

छठे अध्याय के पाठ से भय, शंका, ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है।

विशेष मनोकामना पूर्ण करने के लिए सातवें अध्याय का पाठ करें। इस अध्याय में देवी द्वार चंड मुंड के वध की कथा है।
मनचाहा साथी पाने के लिए आठवें अध्याय का पाठ करें। इस अध्याय में रक्तबीज के वध की कथा है।

नवें अध्याय का पाठ खोए हुए व्यक्ति को वापस लाने के लिए और संतान सुख के लिए कारगर माना गया है। इस अध्याय में निशुंभ के वध की कथा है।

दसवें अध्याय का पाठ करने से में शुंभ वध की कथा है। इस अध्याय के पाठ से रोग, शोक का नाश होता है। 

ग्यारहवें अध्याय के पाठ से व्यापार में लाभ एवं सुख शांति की प्राप्ति होती है।

बारहवें अध्याय के पाठ से मान-सम्मान एवं सुख संपत्ति का लाभ मिलता है।

तेरहवें अध्याय के पाठ से देवी की भक्ति एवं कृपा दृष्टि प्राप्त होती है

कल्याण होगा।
नारायण नारायण
पंडित दीपक शर्मा
भाग्यचक्र उज्जैन
सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु।

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