आपकी जन्म कुंडली में है काल सर्प दोष का प्रभाव, लक्षण जानकर करें ये उपाय
एक व्यक्ति की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष एक बहुत ही बड़ी समस्या है। काल सर्प दोष तब बनता है जब सभी सात ग्रह राहु और केतु की छाया से घिरे हुए होते हैं। राहु सांपो का सिर और केतु साँप की पूंछ है। इस दोष की उपस्थिति बहुत हानिकारक है। यह किसी व्यक्ति के जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। यहां तक कि ग्रहों की सही स्थिति के साथ भी यह व्यक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण बनाता है और रास्ते में समस्या पैदा करता है। इस दोष में कोई प्रभाव सही नहीं माना जाता है।
काल सर्प दोष का प्रभाव -
इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के जीवन पर कुछ प्रभाव निम्नलिखित है।
1. नकारात्मकता या शून्य मानसिक शांति
2. महत्वपूर्ण कार्यों में समस्याएं और देरी
3. अनावश्यक चिंता
4. कम आत्मविश्वास और आत्मसम्मान।
5. स्वास्थ्य में गिरावट और जीवन काल में कमी।
6. परिवार में विवाद और संघर्ष
7. परिवार और रिश्तेदारों से कोई समर्थन नहीं।
8. व्यापार और बेरोजगारी में नुकसान
9. संपत्ति और धन की हानि
10. अकेलेपन की भावना
2. महत्वपूर्ण कार्यों में समस्याएं और देरी
3. अनावश्यक चिंता
4. कम आत्मविश्वास और आत्मसम्मान।
5. स्वास्थ्य में गिरावट और जीवन काल में कमी।
6. परिवार में विवाद और संघर्ष
7. परिवार और रिश्तेदारों से कोई समर्थन नहीं।
8. व्यापार और बेरोजगारी में नुकसान
9. संपत्ति और धन की हानि
10. अकेलेपन की भावना
लक्षण -
कुछ ऐसे लक्षण है जो एक व्यक्ति की कुंडली में इस दोष का अनुमान लगाते हैं। इनमे से कुछ नीचे दिए गए है -
1. इस दोष के साथ व्यक्तियों को सपनों में मृत लोगों की छवियां दिखाई देती है। ये उनके पूर्वज या हाल ही में निधन हो चुके परिवार के सदस्य हो सकते है।
2. जल निकायों और अपने घर के बारे में सपने
3. किसी गड़बड़ी का अनुमान
4. अकेलापन बढ़ता है
5. साँप और साँप के काटने का बड़ा भय।
6. अक्सर सांपों से घिरा होने के बारे में सपने।
7. ऊंचाई वाले स्थानों और अकेलेपन का डर।
सभी व्यक्तियों में ये प्रभाव अलग -अलग होते हैं। सभी लोग जीवन में बड़ी समस्याएं या बाधाओं का सामना नहीं करते हैं। यह व्यक्ति की कुंडली में मौजूद योग पर निर्भर करता है।
इस दोष में के अंतर्गत अनंत, कुलिक, वासुकी, शंकपाल, पदम, महापादम, तक्ष्क, करकोटक, शंकाकूद, घटक, विशार और शेशनाग जैसे अन्य दोष भी आते है। श्राद्ध अमावस्या दिवस या सर्वपित्र अमावस्या के दिन इस योग के प्रभाव से पीड़ित लोगों के लिए श्राद्ध पूजा करना बहुत जरुरी है। इसका इलाज करने के लिए, विशेषज्ञ सलाह लेने की जरूरत है। कर्म इस योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि यह कहा जाता है कि हम जो बोएंगे उस से हमारे कर्मों के अनुसार वैसे ही परिमाण प्राप्त होंगे। यह माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में साँप को मारा है, तो अगले जन्म में वे इस दोष से ग्रस्त होंगे।
उपाय -
विशेषज्ञों काल सर्प योग के असभ्य प्रभाव को कम करने के उपाय बताएं है। उनमें से कुछ नीचे बताये गये है -
1. ओम नमः शिवाय का जप करने या रोजाना कम से कम 108 बार महामृत्युजंय जप को करने से इस योग के खराब प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
2. राहु की बीज मंत्र को 108 बार जाप करते समय अकीके या अगाट की तर्ज रखना लाभकारी होता है।
3. यह बहुत प्रभावी है अगर कोई व्यक्ति हर रविवार को पीपल के पेड़ को पानी देता है।
4. नाग देवता की पूजा करना या नाग पंचमी को व्रत करना प्रभावी रहता है।
5. अगर कोई व्यक्ति भगवान कृष्ण की पूजा करता है और पंचमी या शनिवार को नदी में ग्यारह नारियल प्रदान करता है तो यह भी फायदेमंद हो सकता है।
6. धातु से बनी हुई नाग और नागिन की जोड़ी नदी या एक मंदिर में चढ़ाना भी अच्छा परिणाम दिखाता है।
इस योग के साथ हर व्यक्ति दिए गए प्रभावों और लक्षणों से ग्रस्त नहीं होता है। यह सब जन्म के समय किसी व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। ऐसे अन्य उपाय भी हैं जो आप किसी विशेषज्ञ या पुजारी से जान सकते है। इस दोष का जल्दी से जल्दी उपाय करने का सुझाव दिया जाता है
12 प्रकार के कालसर्प योगों को क्रमानुसार बता रहें है।
1- अनंत कालसर्प योग। 2- कुलिक कालसर्प योग। 3- वासुकि कालसर्प योग। 4- शंखपाल कालसर्प योग। 5- पद्म कालसर्प योग। 6- महापद्म कालसर्प योग। 7- तक्षक कालसर्प योग। 8- कर्कोटक कालसर्प योग। 9- शंखनाद कालसर्प योग। 10-पातक कालसर्प योग। 11- विषाक्त कालसर्प योग। 12- शेषनाग कालसर्प योग।
यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में काल सर्प योग है या नहीं। अगर है तो कौन सा है, तो एक कागज पर अपनी कुंडली बनाकर रख लीजिये और नीचे तस्वीरों से उनका मिलान करिये-
अनंत काल सर्प योग
यदि जातक के जन्मांग के प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु हो तो अनंत काल सर्प योग होता हे। इसकी वजह से जातक के घर में कलह होती रहती है। परिवार वालों या मित्रों से धोखा मिलने की आशंका हमेशा बनी रहती है। मानसिक रूप से व्यक्ति परेशान रहता है, हालांकि ऐसे लोग सिर्फ अपने मन की ही करते हैं।
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कुलिक काल सर्प योग
यदि जातक के जन्मांग के द्वितीय भाव में राहु और अष्टम भाव में केतु हो तो यह कुलिक काल सर्प योग होता है। इस वजह से जातक गुप्त रोग से जूझता रहता है। इनके शत्रु भी अधिक होते हैं परिवार में परेशानी रहती है और वाणी में कटुता रहती है।
वासुकि काल सर्प योग
यदि जातक के जन्मांग में राहु तृतीय और केतु भाग्य भाव यानि 9वें भाव में हो तो वासुकि काल सर्प योग होता है। ऐसे लोगों को भाईयों से कभी सहयोग नहीं मिलता। ऐसे लोगों का स्वभाव चिड़चिड़ा होता है। ये लोग कितना भी कष्ट क्यों न आ जाये, किसी से कहते नहीं।
शंखपाल काल सर्प योग
यदि जातक के जन्मांग में मातृ यानि चतुर्थ स्थान पर राहु और पितृ यानि 9वें भाव में केतु दोनों हों तो शंखपाल काल सर्प योग माना जाता है। ऐसे लोगों का माता-पिता से हमेशा झगड़ा होता रहता है और परिवार में कलह बनी रहती है। ऐसे लोगों को दोस्तों से भी नहीं बनती है।
पद्म काल सर्प योग
जिन लोगों की कुंडली में पांचवें सथान पर राहु और ग्यारहवें भाव में केतु हो तो उस स्थिति में पद्म काल सर्प योग होता है। ऐसे लोग बुद्धिमान होते हैं, जमकर मेहनत करते हैं, लोगों से उनका व्यवहार काफी अच्दा होता है और प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचते हैं। लेकिन अनावश्यक चीजों को लेकर उनके मान-सम्मान को हानि पहुंचना आम बात होती है। एक के बाद एक परेशानियां बनी रहती हैं। इनका पहला पुत्र कष्टकारी होता है।
शेषनाग काल सर्प योग
यदि किसी की कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु के अंतर्गत सभी ग्रह विद्यमान हों तो शेषनाग काल सर्प योग होता है। ऐसे लोगों के खिलाफ लोग तंत्र-मंत्र का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। इन्हें मानसिक रोग लगने की आशंका ज्यादा रहती है। यदि राहु के साथ मंगल है तो इनके सारे शत्रु परस्त हो जाते हैं। यानी इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। विदेश यात्रा से लाभ मिलते हैं, लेकिन साझेदारी के व्यापार में हानि उठानी पड़ती है।
विषाक्त काल सर्प योग
यदि व्यक्ति की कुंडली के ग्यारहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु सभी ग्रहों को समेटे हुए हो तो विषाक्त काल सर्प योग होता है। ऐसे लोग अच्छी विद्या हासिल करते हैं। इन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। ये उदारवादी होते हैं, लेकिन कभी-कभी पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है। ये कभी भी किसी पर मेहरबान हो सकते हैं।
पातक काल सर्प योग
पातक काल सर्प योग तब बनता है, जब कुंडली के 10वें भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हो। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में तनाव बना रहता है। पैतृक संपत्ति जल्दी नहीं मिल पाती है। ऐसे लोग नौकरी या व्यापार के लिये हमेशा परेशान रहते हैं। कर्ज भी बहुत जल्दी चढ़ जाता है। हृदय और सांस के रोग की परेशानी बनी रहती है।
शंखनाद काल सर्प योग
यदि कुंडली में सातों ग्रहों को लेकर राहु भाग्य यानि 4 स्थान पर हो और केतु 10 भाव में हो तो यह शंखनाद काल सर्प योग होता है। इसके अंतर्गत भाग्य अच्छा होते हुए और कड़ी मेहनत के बावजूद मनमाफिक फल नहीं मिलते। ऐसे लोगों के शत्रु गुप्त होते हैं। इनमें सहने की शक्ति बहुत होती है और लोग इनका नाजायज फायदा उठाने की कोशिश में रहते हैं।
कार्कोटक काल सर्प योग
कार्कोटक काल सर्प योग उस स्थिति में बनता है जब कुंडली में 8वें भाव में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो। ये दोनों मिलकर सभी ग्रहों को निगलने के प्रयास करते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति हर छोटी-छोटी चीज के लिये छटपटाते रहते हैं। इन्हें खाली बैठना पसंद नहीं होता। जीवन पर्यंत पैसे की चिंता बनी रहती है। ये अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं रख पाते हैं और बहुत जल्दी शराब आदि का नशा लग जाता है।
महापद्म काल सर्प योग
महापद्म काल सर्प योग उस स्थिति में बनता है, जब कुंडली के रोग और शत्रु यानि छठे भाव में राहु और 12वें भाव में केतु सहित सातों ग्रह हों। ऐसे लोग जीवन भर परेशान रहते हैं। मानसिक तनाव बना रहता है। इनके हर काम में कोई न कोई अढ़चन जरूर आती है।
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