Monday, June 1, 2020

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!

श्री गणेशाय नमः    जय श्री महाकाल      जय माँ हरसिद्धि

रुद्राभिषेक



वर्तमान में वैश्विक महामारी के चलते लोग मंदिर नही जा पा रहे है व न ही किसी भी धार्मिक स्थलों पर जाकर सुख शांति या दोष निवारणार्थ कोई पूजन पाठ करवा पा रहे है।
अतः उज्जैन मध्यप्रदेश में वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा नित्य, तिथि,वार आदि पर यजमानों के सुख शांति हेतु रुद्राभिषेक नाम मात्र दक्षिणा में अलग अलग मनोरथ अनुसार किए जा रहे।

रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है।
जीवन में कोई कष्ट हो या कोई मनोकामना हो तो सच्चे मन से रुद्राभिषेक कर के देखें निश्चित रूप से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति होगी।
रुद्राभिषेक से व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट,लक्ष्मी का अभाव,स्वास्थ्य लाभ, कालसर्प योग, पितृशान्ति, गृहक्लेश, आदि सभी कार्यों की बाधाएं भी दूर होती हैं।
यदि आप भी अपने परिवार की सुख शांति या किसी मनोरथ या किसी दोष निवारण हेतु रुद्राभिषेक करवाना चाहते है तो 9522222969 हमसे फोन के माध्यम से या व्हाट्सएप्प के माध्यम से संपर्क कर सकते है।

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से भगवान शिव का अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है ।

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै।
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात्।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च।।
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह।
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।।

अर्थात् :-
जल से रुद्राभिषेक करने पर उत्तम वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर  सर्व रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर महा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर धन में रोजगार में वृद्धि होती है।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
गंगाजल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है व स्वास्थ्य लाभ होता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि प्राप्ति होती है।
घी से अभिषेक करने से वंश में वृद्धि होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।
शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय से मुक्ति मिलती है।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और शिव के शुभाशीर्वाद से समृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।

।।रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:।। अर्थात:- रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं।
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जय श्री महाकाल।
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