Monday, June 29, 2020

जय श्री महाकाल - 30।6।2020 - मंगलवार

।। नमो नमः ।।
।।भाग्यचक्र ।।

 *आज का पंचांग :-* 

तिथि :- दशमी
वार   :- मंगलवार
दिनांक :- 30 जून 2020
अयन:- उत्तरायण
पक्ष   :- शुक्ल
नक्षत्र :- स्वाति
ऋतू  :- ग्रीष्म
लाभ :- 10:49 - 12:31
शुभ :- 15:54 - 17:36
राहु काल :- 15:54 - 17:36
                                 
जय श्री महाकाल - 
30।6।2020 :-

जीवन मैं आनंद की प्राप्ति हेतु आज का भाग्य चक्र -     
आज का मंत्र ।
""ॐ हनुमान् अंजनीसुत वायुपुत्र महाबल रामेष्ट फाल्गुनसखा पिंगाक्ष अमितविक्रम। 
उदधिक्रमण चैव सीताशोकविनाशन  लक्ष्मण-प्राणदाता च दशग्रीवस्यदर्पहा॥"'

नित्य हनुमान जी के इन १२ नामों का जप करने से मनुष्य के सभी संकट कम हो जाते है।
                   
जय श्री महाकाल।
माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे।                               
                                                                        
🙏🌹जय श्री महाकाल🌹🙏
श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का
आज का भस्माआरती श्रृंँगार दर्शन।
30 जून 2020( मंगलवार )

जय श्री महाकाल।
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Tuesday, June 23, 2020

जय जगन्नाथ - जगन्नाथपुरी रथ यात्रा 2020





                    श्री जगन्नाथ रथयात्रा
महोत्सव पर आप सभी को हार्दिक बधाई, जगन्नाथ जी की कृपा हम सभी पर बरसती रहे।
जय श्री जगन्नाथ जी👏🚩
भगवान् जगन्नाथ जी के रथ का संक्षिप्त परिचय

1.रथ का नाम -नंदीघोष रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -832
3. कुल चक्के -164. 
4. रथ की ऊंचाई- 45 फीट
5. रथ की लंबाई चौड़ाई - 34 फ़ीट 6 इंच6.
6. रथ के सारथि का नाम - दारुक
7.रथ के रक्षक का नाम- गरुड़
8. रथ में लगे रस्से का नाम- शंखचूड़ नागुनी
9. पताके का रंग- त्रैलोक्य मोहिनी
10. रथ के घोड़ो के नाम -वराह,गोवर्धन,कृष्णा,गोपीकृष्णा,नृसिंह,राम,नारायण,त्रिविक्रम,हनुमान,रूद्र

 बलभद्र जी के रथ का संक्षिप्त परिचय

1. रथ का नाम -तालध्वज रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -763
3.कुल चक्के -14
4. रथ की ऊंचाई- 44 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 33 फ़ीट
6.रथ के सारथि का नाम - मातली
7.रथ के रक्षक का नाम-वासुदेव
8. रथ में लगे रस्से का नाम- वासुकि नाग
9.पताके का रंग- उन्नानी
10. रथ के घोड़ो के नाम -तीव्र ,घोर,दीर्घाश्रम,स्वर्ण नाभ

 सुभद्रा जी के रथ का संक्षिप्त परिचय

1. रथ का नाम - देवदलन रथ
2 कुल काष्ठ खंडो की संख्या -593
3.कुल चक्के -12
4. रथ की ऊंचाई- 43 फीट
5.रथ की लंबाई चौड़ाई - 31 फ़ीट 6 इंच
6.रथ के सारथि का नाम - अर्जुन
7.रथ के रक्षक नाम- जयदुर्गा
8. रथ में लगे रस्से का नाम- स्वर्णचूड़ नागुनी
9.पताके का रंग- नदंबिका
10. रथ के घोड़ो के नाम -रुचिका,मोचिका,जीत,अपराजिता ।।

🕌जय जगन्नाथ 🕌*भगवान श्री जगन्नाथ जी कीरथयात्रा आषाढ़ शुक्लद्वितीया में निकाली जाती है |श्री जगन्नाथ जी की दर्शन सेउनका आशीर्वाद से हम सभीपर असीम कृपा बने रहे ।**आपको और आपके पुरे परिवार को "रथ यात्रा" की हार्दिक शुभकामनाये...

   *।। जय श्री जगन्नाथ ।।*
   🍁🍁🙏🙏🍁🍁

Monday, June 22, 2020

गुप्त नवरात्र पर्व आज से, साधना से पाएं सिद्धियां 22 जून से 29 जून तक


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आज यानी 22 जून से गुप्त नवरात्र पर्व शुरू हो रहा है। नवरात्र अर्थात् मां भगवती के नौ रूपों, नौ शक्तियों की पूजा के वो दिन जब मां हर मनोकामना पूरी करती है। यूं तो हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र होते हैं जिनमें लोग पूरी श्रद्धा के साथ घट स्थापना करते हैं लेकिन 2 और नवरात्र भी होते हैं...गुप्त नवरात्र। इनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक गुप्त नवरात्र साल में 2 बार आते हैं एक माघ महीने में और दूसरा आषाढ़ महीने में।

दस महाविद्याओं की होती है पूजा
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गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये दस महाविद्याएं हैं - काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी।

क्यों कहा जाता है इसे गुप्त नवरात्रि?
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साल में 2 बार आने वाली गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है। इस नवरात्र की पूजा विधि चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बिल्कुल अलग होती है और यही कारण है कि गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्र से बिल्कुल अलग और खास होते हैं। कहते हैं इन नवरात्रों में मां भगवती की देर रात गुप्त रूप से पूजा की जाती है और इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है।

गुप्त नवरात्र पूजा विधि
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-इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात ही की जाती है।
-मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर, लाल चुन्नी चढ़ाई जाती है।
- नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे चढ़ाएं और लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करें।
- गुप्त नवरात्रि में सरसों के तेल के ही दीपक जलाएं
- ओम दुं दुर्गायै नम: का जाप करना चाहिए।

शैव साधनाओं का पर्व
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गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक क्रियाएं, शैव साधनाएं, श्मशान साधनाएं, महाकाल साधनाएं, आदि करते हैं और सफलता प्राप्त कर लेने पर विभिन्न शक्तियों और दुर्लभ सिद्धियों के स्वामी बन जाते हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान विनाश और संहार के देव, महाकाल और महाकाली की आराधना होती है।

जय माता जी।

Saturday, June 20, 2020

सूर्य ग्रहण ( Solar eclipse ) 21 June 2020

""सूर्य ग्रहण''
( आषाढ़ मास कृष्णपक्ष अमावस्या तिथि )
21 जून रविवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण है अतः इस ग्रहण का नियम पालन करना आवश्यक होगा।

ग्रहण स्पर्श( प्रारम्भ ):-
प्रातः 9:30
ग्रहण मोक्ष(समाप्त): 
दोपहर 03:05
सूतक:- 
20 जून शनिवार को रात 10.00 से 21 जून रविवार दोपहर 3:05 तक।

ग्रहण काल मे ध्यान रखने योग्य बातें :- 

क्या करें :-
सूतक काल मे भगवान के मंदिर के पट बंद कर देवे किसी भी प्रकार की मूर्ति को स्पर्श पूजन पाठ नहीं करनी चाहिए।

सूतक लगने से पहले घर मे रखें खाद्य सामग्री (बिना बनी हुई) में कुशा या तुलसी के पत्ते रख देवें।उपयोग के जल में भी तुलसी दल या कुशा डाले।

ग्रहण प्रारम्भ होने से पहले स्नान अवश्य करे ।
ग्रहण लगने पर अपने इष्ट देव का ध्यान करें,गुरु मंत्र का जप करे, आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करे।महामृत्युंजय मंत्र का जप करे, गायत्री मंत्र का जप करे।
प्रभु भजन करे।उपरोक्त में से कोई भी एक जप करे।

ग्रहण के समय अन्न धन वस्त्र आदि दान का संकल्प करें व ग्रहण समाप्ति पर इनका दान करें।गाय माता को हरा चारा खिलावें।

बने हुए भोजन को बिल्कुल भी उपयोग न करे व उसे बाहर रख देवें व ग्रहण समाप्ति पर स्नान करके ताजा भोजन बनावे व उसे खाए।

ग्रहण के समय किए गए जप, यज्ञ, दान आदि का सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक महत्व वर्णित है।

क्या न करें :-

ग्रहण काल मे यात्रा करना,भोजन करना , भगवान को स्पर्श, पेड़ पौधे तोड़ना, काटना सिलना, पशु आदि की सवारी, सोना आदि न करे।
सूतक काल मे मांस मदिरा का सेवन न करे बह्मचार्य का पालन करें।
ग्रहण के दौरान विशेषकर गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं का विशेष ध्यान रखे, इन्हें ग्रहणकाल मे घर मे ही रखे। ग्रहण काल मे गर्भवती महिलाएं अपने मुख में एक तुलसी का पत्ता रख लेवे व
 "" नारायण-नारायण ""या "" ॐ नमो भगवते वासुदेवाय "" का जप करे।
ग्रहण समाप्ति के पश्चात जल में गंगाजल डालकर स्नान करें व पूरे घर का गंगाजल से शुद्धिकरण करे।

विशेष :- आप अपनी मनोकामनाओं या समस्याओं के निवारण हेतु भी जप कर सकते है।
ग्रहण के समय मे जप तप दान आदि का सहस्त्र गुना पुण्य मिलता है।
""मुक्तौ यस्तु न कुर्वीत स्नानं ग्रहण सूतके।
स सूतकी भवेत्तावरत् यावत्स्यादपरो ग्रहः।।
अर्थात-जो मनुष्य ग्रहण पश्चात में स्नान नहीं करता वह तब तक सूतक ही रहता है जब तक दोबारा कोई ग्रहण नहीं पड़ता अतःग्रहण के प्रारम्भ में भी स्नान करे एवं ग्रहण के अंत मे भी स्नान करे।

*ग्रहण दोष :-किसी भी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में किसी भी भाव में जब सूर्य या चंद्रमा के साथ राहू और केतु में से कोई भी एक ग्रह उपस्थित होता है तो ग्रहण दोष बनता है।*
*ग्रहण दोष निवारण की पूजा का संकल्प भी इस काल मे किया जाता है।*

अधिक जानकारी के लिए आप संपर्क कर सकते है।
कल्याण होगा।
जय श्री महाकाल।
भाग्यचक्र उज्जैन
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Wednesday, June 17, 2020

एकादशी 17।6।2020 - योगिनी एकादशी ( Yogini Ekadashi )


धन एवं भोग प्राप्त कराने वाली योगिनी एकादशी-
दिनांक १७ जून २०२० बुधवार को आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। ब्रह्मवैवर्त पूराण के अनुसार इस व्रत को करने वाले को भोग, लक्ष्मी एवं सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है। शिवभक्त मार्कडेण्य मुनि ने  यक्ष हेममाली को इस व्रत के संबंध में यही बताया था।
हेममाली कुबेर का सेवक था, तथा वह कुबेर के लिए नित्य शिवपूजा के पुष्प मानसरोवर से लेकर आता था। अपनी पत्नि के साथ समय बिताने के लिए वह एक दिन पुष्प लाने में देरी कर बैठा, तथा कुबेर के शाप से कोढ़ी होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा, तथा इस योगिनी एकादशी का व्रत कर वापस सुख, संपत्ति एवं पत्नि को प्राप्त करने में सफल हुआ।
इस व्रत में मीश्री, तरल पदार्थ एवं दुध एवं दुध से बनी मिठाईयों का फलाहार में प्रयोग होता है। यह व्रत वर्षाकाल में आरंभ में आता है। यह नई वनस्पतियों के आनें का समय भी होता है। इस काल में कई जीवाणुओं का जन्म होता है, जो स्वास्थ्य के हानिकारक होते है। अत: इस व्रत को रखकर संयम से एक दिन का आहार त्याग किया जाता है। जो आने वाले समय में स्वास्थ्य को सुरक्षित रखता है। स्वस्थ्य व्यक्ति ही धन की वृद्धि करने एवं उपभोग करने में सक्षम हो पाता है। भगवान विष्णु के साथ, यह व्रत शिव को भी प्रसन्न करने वाला होता है।
योगिनि एकादशी ऐसा व्रत है। जो हरिवासर सद्भाव में मनाया जाता है।  इस व्रत को करने से वह पाप भी निर्मुल हो जाते है। जो अनजाने में किए हो। जैसें पंाव के नीचे दबनें से, या अग्रि प्रज्वलित करने से, रस्तें में चलते वक्त किसी किड़े या जीव जंतु पर आघात हो जाना। पीपल वृक्ष को काटना, घर के अंदर बने हुए पक्षीयों या मकडिय़ों के जालों को नष्ट करना, गाय या अन्य जानवर को बचपन में, या नादानी में पत्थर मारना। अश्लिल शब्दों के प्रयोग, किसी का खोया हुआ सामान या धन नहीं लौटाना। अकारण किसी का अपमान करना। बुजुर्गों या संतों के प्रति किया गया अपमान। अनजानें मे किए हुए पापों को दूर करने के लिए इस दिन रात में भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मीजी की रात्री में पूजन आरती करना चाहिए। किसी  जरुरतमंद स्त्री को अन्न, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
इस व्रत को करने से अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों  को भोजन कराने के बराबर का फल प्राप्त होता है, तथा यह व्रत पांच ज्ञान की, पांच कर्म की इन्द्रियों के साथ एक मन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

नारायण नारायण

Sunday, June 14, 2020

सुशांत सिंह राजपूत - ॐ शांति शांति शांतिः

तनाव के उन क्षणों में मजबूत लोग भी आत्महत्या कर लेते हैं..
वो लोग जिनके पास सब कुछ है
शान ... शौकत ... रुतबा ... पैसा .. इज्जत
इनमें से कुछ भी उन्हें नहीं रोक पाता .. 

तो फिर क्या कमी रह जाती है ???

कमी रह जाती है उस ऊँचाई पर
एक अदद दोस्त की

कमी होती है  उस मुकाम पर
 एक अदद राजदार की

एक ऐसे दोस्त की जिसके साथ "चांदी के कपों" में नहीं
किसी छोटी सी चाय के दुकान पर बैठ
सकते ..

जो उन्हें बेतुकी बातों से जोकर बन कर  हंसा पाता ...

वह जिससे अपनी दिल की बात कह हल्के हो सके..
वह जिसको देखकर
अपना स्ट्रेस भूल सके

वह दोस्त
वह यार
वह राजदार
वह हमप्याला
उनके पास नहीं होता
जो कह सके तू सब छोड़ ... चाय पी मैं हूं ना तेरे साथ ...
और आखिर में
यही मायने कर जाता है...

सारी दुनिया की धन दौलत
एकतरफ...सारा तनाव एक तरफ ..

वह दोस्त वह एक तरफ !!!

लेकिन अगर आपके पास
वह दोस्त है
वह यार है

तो कीमत समझिये उसकी...

चले जाइए एक शाम उसके साथ
चाय पर ...

जिंदगी बहुत हसीन बन जाएगी......

याद रखिए आपके तनाव से यदि कोई लड़ सकता है तो वो है आपका दोस्त और उसके साथ की *एक कप गर्म चाय* !!

Monday, June 1, 2020

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!

श्री गणेशाय नमः    जय श्री महाकाल      जय माँ हरसिद्धि
रुद्राभिषेक
वर्तमान में वैश्विक महामारी के चलते लोग मंदिर नही जा पा रहे है व न ही किसी भी धार्मिक स्थलों पर जाकर सुख शांति या दोष निवारणार्थ कोई पूजन पाठ करवा पा रहे है।
अतः उज्जैन मध्यप्रदेश में वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा नित्य, तिथि,वार आदि पर यजमानों के सुख शांति हेतु रुद्राभिषेक नाम मात्र दक्षिणा में अलग अलग मनोरथ अनुसार किए जा रहे।
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है।
जीवन में कोई कष्ट हो या कोई मनोकामना हो तो सच्चे मन से रुद्राभिषेक कर के देखें निश्चित रूप से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति होगी।
रुद्राभिषेक से व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट,लक्ष्मी का अभाव,स्वास्थ्य लाभ, कालसर्प योग, पितृशान्ति, गृहक्लेश, आदि सभी कार्यों की बाधाएं भी दूर होती हैं।
यदि आप भी अपने परिवार की सुख शांति या किसी मनोरथ या किसी दोष निवारण हेतु रुद्राभिषेक करवाना चाहते है तो 9522222969 हमसे फोन के माध्यम से या व्हाट्सएप्प के माध्यम से संपर्क कर सकते है।

शिव पुराण के अनुसार अलग अलग मनोरथ हेतु भगवान भोलेनाथ का अभिषेक भी अलग अलग  द्रव्य से किया जाता है। अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख भी शिव पुराण में किया गया है ।

जल से रुद्राभिषेक करने पर उत्तम वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर  सर्व रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।गन्ने के रस से अभिषेक करने पर महा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर धन में रोजगार में वृद्धि होती है।तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।दूध् से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय से मुक्ति मिलती है।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और शिव के शुभाशीर्वाद से समृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
।।रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:।। 
अर्थात:- रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं।
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ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!

श्री गणेशाय नमः    जय श्री महाकाल      जय माँ हरसिद्धि

रुद्राभिषेक



वर्तमान में वैश्विक महामारी के चलते लोग मंदिर नही जा पा रहे है व न ही किसी भी धार्मिक स्थलों पर जाकर सुख शांति या दोष निवारणार्थ कोई पूजन पाठ करवा पा रहे है।
अतः उज्जैन मध्यप्रदेश में वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा नित्य, तिथि,वार आदि पर यजमानों के सुख शांति हेतु रुद्राभिषेक नाम मात्र दक्षिणा में अलग अलग मनोरथ अनुसार किए जा रहे।

रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है।
जीवन में कोई कष्ट हो या कोई मनोकामना हो तो सच्चे मन से रुद्राभिषेक कर के देखें निश्चित रूप से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति होगी।
रुद्राभिषेक से व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट,लक्ष्मी का अभाव,स्वास्थ्य लाभ, कालसर्प योग, पितृशान्ति, गृहक्लेश, आदि सभी कार्यों की बाधाएं भी दूर होती हैं।
यदि आप भी अपने परिवार की सुख शांति या किसी मनोरथ या किसी दोष निवारण हेतु रुद्राभिषेक करवाना चाहते है तो 9522222969 हमसे फोन के माध्यम से या व्हाट्सएप्प के माध्यम से संपर्क कर सकते है।

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से भगवान शिव का अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है ।

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै।
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात्।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च।।
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह।
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।।

अर्थात् :-
जल से रुद्राभिषेक करने पर उत्तम वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर  सर्व रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर महा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर धन में रोजगार में वृद्धि होती है।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
गंगाजल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है व स्वास्थ्य लाभ होता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि प्राप्ति होती है।
घी से अभिषेक करने से वंश में वृद्धि होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।
शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय से मुक्ति मिलती है।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और शिव के शुभाशीर्वाद से समृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है।

।।रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:।। अर्थात:- रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं।
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