""जय श्री गणेशाय नमः।""
""जय श्री लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः।"'
दीपावली पर माँ लक्ष्मी पूजन की विधि।
दिवाली के दिन संध्याकाल में माँ महालक्ष्मी एवं गणेश जी का पूजन किया जाता है।
सर्वप्रथम हम जानेंगे पूजन सामग्री : -
१. माता लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति या फ़ोटो।
२.चौकी, लाल तथा पिला वस्त्र, आसन।
३.घी का दीपक, धूपबत्ती, पुष्पमाला, पुष्प, कमल का फूल, कमल गट्टे की माला।
४.गंगा जल, शुद्ध जल, कलश, नारियल, पंचामृत।
५. कुमकुम, हल्दी, अक्षत, केसर, अबीर, गुलाल, रोली,मेहंदी, इत्र।
६. पान के पत्ते, सुपारी, लोंग, ईलायची, श्री फल, गन्ना।
पूजा विधि :-
सर्वप्रथम जहा आपको पूजा करनी है वहाँ चौकी रखे एवम ध्यांन रखे के भगवान का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ हो अब चौकी पर लाल कपड़ा बिछाये। अब उसपर अक्षत रखे जहाँ पर भगवान को विराजमान करना है अब लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें तथा उनके बाएं तरफ भगवान श्री गजानन को विराजमान करें। अब कलश ले तथा लक्ष्मी जी के पास अक्षत रख कर उस पर कलश में जल भरकर रखें तथा कलश के ऊपर श्रीफल रखें ।
अब भगवान गणेश व माँ लक्ष्मी को पुष्पहार पहनाएं तथा श्रीफल को लाल वस्त्र में लपेट दे बीच मे से ऊपर व नीचे से वह खुला रहेगा।
अब सर्वप्रथम एक कलश में जल ले तथा एक पुष्प लेकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण कर भगवान, पूजन सामग्री तथा खुद पर जल छिड़ककर पवित्रीकरण करें।
मंत्र :-
""ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥""
आसन शुद्धी :- आसन पर जलछिड़के।
आचमन :-
दाहिने हाथ में जल लेकर प्रत्येक मंत्र के साथ एक-एक बार
आचमन करें-
ॐ केशवाय नमः ।(आचमन करें)
ॐ माधवाय नमः ।(आचमन करें)
ॐ गोविन्दाय नमः।(आचमनकरें)
अब हाथ धो लें-
दीप प्रज्वलित :-
अब घी का एक या पांच दीपक तथा अन्य दीपक तेल के प्रज्वलित करें तथा धूपबत्ती को भी प्रज्वलित करें।
संकल्प :-
अपने दाएं हाथ मे अक्षत, पुष्प, सुपारी, एक सिक्का तथा जल लें।
तथा भगवान गणेश जी व माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए बोले।
आज कार्तिक मास के अमावस्य तिथि को में "अपना नाम" गोत्र "अपनी गोत्र का उच्चारण करें" माँ महालक्ष्मी भगवान गणेश जी का पूजन लक्ष्मी की प्राप्ति तथा अपने घर परिवार में सुख शांति स्वास्थ्य एवं समृद्धि को प्राप्त करने तथा अपने सभी कष्टों को दूर करने , व्यापार रोजगार में लाभ प्राप्ति हो। इसलिए में सपरिवार गणेश जी लक्ष्मी जी का पूजन कर रहा हूँ। मेरे द्वारा किये जा रहे इस पूजन में मेरे इष्ट देवता, कुल देवता, स्थान देवता, ग्राम देवता, मेरे गुरु , मेरे माता पिता मेरे द्वारा किये जा रहे पूजन को निर्विघ्न सफलता पूर्वक सम्पन्न करें ।
इस प्रकार का संकल्प कर हाथ मे ली हुई सभी सामग्री भगवान के समक्ष अर्पित करदें।
कलश पूजन :-
हाथ मे अक्षत तथा पुष्प ले और वरुण देवता का ध्यान करते हुए, निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कांवेरी जलेसमिन सन्निधिम कुरु।
अब हाथ मे ली हुई सामग्री कलश पर चढ़ा दें अब सर्वप्रथम कलश पर मोली बांधिए, कंकु लगाए, अक्षत चढ़ाये। धूप व दीप दिखाये तथा प्रसाद फल अर्पित करें।
गणेश पूजन :-
सर्वप्रथम निम्न मंत्र बोलें।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
तत्पश्चात गणेश जी की मूर्ति को एक पात्र में रखें । सर्वप्रथम शुद्ध जल द्वारा भगवान गणेश जो स्नान कराएं।
शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। कहते हुए शुद्ध जल से स्नान कराएं।
पंचामृत स्नानं समर्पयामि कहते हुए पंचामृत से नहलाएं।
( पंचामृत में दूध, दही, शक्कर, शहद व घी का मिश्रण। )
पुनः भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराए।
शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। कहते हुए शुद्ध जल से स्नान कराएं।
अब भगवान को एक स्वच्छ वस्त्र से पोछकर चौकी पर भगवान के स्थान पर स्थापित करें तथा भगवान को वस्त्र अर्पित करें उन्हें यज्ञोपवीत पहनाये, कुमकुम अबीर गुलाल अक्षत पुष्प अर्पित करें।
अब भगवान को धूपदीप अर्पित करें व भगवान की आरती करें। तथा भगवान को नैवेद्य अर्पित करें।
अब हाथ मे जल व अक्षत, पुष्प ले और गणेश जी का ध्यान करें एवं बोले - ॐ गं गणपतये नमः इहागच्छ इहतिष्ठ।
है भगवान आप यहाँ आये रिद्धि सिद्धि सहित एवं पूजा में विराजमान हों।
माँ लक्ष्मी पूजन ( दीपावली ) पूजन विधि :-
दीपावली लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः –
""ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।"'
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ,
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”
माँ को स्नान कराएं:
""ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।।"'
ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम्( रक्त चंदन लगाएं)।
इदं सिन्दूराभरणं( सिन्दूर लगाएं)।
ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।।
ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।( पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं)।
अब लक्ष्मी देवी को इदं वस्त्रम समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।
देवी माँ महालक्ष्मी की अंग पूजा:-
बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं—
ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि,
ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि,
ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि,
ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि,
ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि,
ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।
अष्टसिद्धि पूजन:-
(हाथ में अक्षत ले तथा निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करे। बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाए)
ऊं अणिम्ने नम:।
ओं महिम्ने नम:।
ऊं गरिम्णे नम:।
ओं लघिम्ने नम:।
ऊं प्राप्त्यै नम:।
ऊं प्राकाम्यै नम:।
ऊं ईशितायै नम:।
ओं वशितायै नम:।
अष्टलक्ष्मी पूजन :-
(हाथ में अक्षत ले तथा निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करे। बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाए)
हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मंत्र बोले :-
ॐ आद्ये लक्ष्म्यै नम:।
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:।
ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:।
ॐ अमृत लक्ष्म्यै नम:।
ॐ लक्ष्म्यै नम:।
ॐ सत्य लक्ष्म्यै नम:।
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:।
ॐ योग लक्ष्म्यै नम:।
आरती:-
अब माँ लक्ष्मी की आरती करें।
भोग:-
निम्नलिखित मंत्र बोलकर भगवान को भोग लगावे।
""इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि"'
नैवैद्य अर्पित करें।
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं।
इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:।
तत्पश्चात पान सुपारी चढ़ाएं:-
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि।
तथा एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:।
पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना करें।
अब अपने तिजोरी, वाहन आदि का पूजन करें।
माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद ले घर के बड़ो का आशीर्वाद ले एवम प्रसाद ले।
जय श्री महाकाल।
सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु।
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शुभम भवतु।
कल्याण हो।